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2 Oct 2025 · 3 min read

उम्मीद – ज़िंदगी का सहारा

उम्मीद – ज़िंदगी का सहारा
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उम्मीद, जिसे हम आस, आशा, ख़्वाहिश, अपेक्षा, भरोसा आदि असंख्य नामों से जानते हैं, यक़ीनन एक ऐसा खूबसूरत एहसास है जो हमारी ज़िंदगी में खुशियों के रंग ही नहीं भरता बल्कि कामयाबी के कठिन और दुश्वार रास्तों को भी आसान बना देता है।
उम्मीद है तो सब कुछ मुमकिन है। उम्मीद के बिना ज़िंदगी जैसे कुछ भी नहीं। यह हमें जीने का हौंसला देती है। यूँ कहें तो उम्मीद के बग़ैर हम ज़िंदगी का तसव्वुर भी नहीं कर सकते। यही उम्मीद नामुमकिन को मुमकिन करने का जज़्बा हमारे अंदर पैदा करती है। यह हमारे हौसलों को पंख ही नहीं देती बल्कि हमें उड़ना भी सिखा देती है। और इसी उम्मीद के सहारे हम हर मुश्किल को आसान बना लेते हैं।
कहते हैं—“उम्मीद पर ही दुनिया क़ायम है।” सच यही है कि उम्मीद के दम पर इंसान दुनिया जीत सकता है और अगर यह टूट जाए तो इंसान अपनी दुनिया ही नहीं, ज़िंदगी भी हार जाता है। इसलिए हमें कोशिश करनी चाहिए कि अपनी उम्मीद को कभी ख़त्म न होने दें। उम्मीद के उजाले से ही नाउम्मीदी और मायूसी के अंधेरों को दूर कर ज़िंदगी को खुशियों से भर सकते हैं।
उम्मीद कभी हम ख़ुद से करते हैं, तो कभी दूसरों से रखते हैं। लेकिन दूसरों से उम्मीद रखना अक्सर हमें मायूस कर देता है। जब उम्मीदें टूटती हैं तो इंसान भीतर से टूट जाता है। किसी अपने द्वारा उम्मीद तोड़ने पर दिल में बे’यक़ीनी घर कर लेती है, और फिर इंसान चाह कर भी न किसी से उम्मीद रख पाता है, न किसी पर भरोसा कर पाता है। बहुत से कमज़ोर दिल के लोग तो उम्मीद टूटने पर ज़िंदगी तक हार जाते हैं।
इसलिए बेहतर यही है कि उम्मीद हमेशा अपने रब और ख़ुद से रखनी चाहिए, क्योंकि रब ही वह सहारा है जो हमें कभी नाउम्मीद नहीं करता। हाँ, उम्मीदें ज़्यादा नहीं, मुख़्तसर रखनी चाहिए। दूसरों से उम्मीद रखने से पहले यह देख लेना चाहिए कि जिस पर हम भरोसा कर रहे हैं, वह हमारी उम्मीद पर खरा उतरने के क़ाबिल भी है या नहीं। वरना बे’एतबार लोगों से उम्मीद रखना सिर्फ़ नादानी है।
सच तो यह है कि उम्मीद के टूटने का दर्द वही जानता है, जिसकी उम्मीद टूटी हो। इसलिए कोशिश करनी चाहिए कि हमारी वजह से कभी किसी की उम्मीद न टूटे। ज़िंदगी में हमें हर वह चीज़ नहीं मिलती जिसकी उम्मीद हम शिद्दत से करते हैं। लेकिन जब तक सांस चलती है, उम्मीद का दामन नहीं छोड़ना चाहिए।
“एक दिन सब ठीक हो जाएगा”—यह लफ़्ज़ अंधेरे में चमकती वही उम्मीद की रोशनी है जो हमें हौंसला देती है और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है। उम्मीद ही हमें नाउम्मीदी के अंधेरों से निकालकर कामयाबी के उजाले तक ले जाती है।
याद रखें—दूसरों से बेवजह उम्मीदें वाबस्ता करना ग़लत है, क्योंकि यही हमारी मायूसी और दुःख की वजह बनती हैं। लेकिन टूटी हुई उम्मीद के अंधेरे में भी एक नयी उम्मीद की रोशनी हमें फिर जीने का हौंसला दे सकती है।
यक़ीनन, उम्मीद हमारे ज़िंदा होने की पहली शर्त है और हमारी ज़िंदगी का सबसे बड़ा सहारा। इसलिए अपनी उम्मीद को किसी भी क़ीमत पर कभी ख़त्म न होने दें।
डाॅ फ़ौज़िया नसीम शाद

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