गाज़ा की मासूम आँखों में सपनों का उजाला ढूँढ रहा हूँ, पर हर
गाज़ा की मासूम आँखों में सपनों का उजाला ढूँढ रहा हूँ, पर हर कोना आँसुओं और दर्द की कहानी कह रहा है।
टूटे हुए घरों के बीच भी उम्मीद की किरण चमकती है, जो दुनिया को इंसानियत का आईना दिखा रही है।
नन्हें बच्चों की मासूम हँसी, गोलियों की गूंज में खो गई, फिर भी उनके होंठ दुआओं से भरे रहते हैं।
गाज़ा की मिट्टी पुकार रही है — “शांति लाओ, ज़ुल्म रोक दो, ताकि हर दिल चैन से जी सके।”