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2 Oct 2025 · 1 min read

धरा धाम पुलकित हुआ, रावण का कर अंत।

धरा धाम पुलकित हुआ, रावण का कर अंत।
चैन भाव सब पा गएँ, नर-नारी सह संत।।
राम विजय लंका किए, कर रावण का हंत।
पुष्प वृष्टि करने लगे, नभ से सभी दिगंत।।
हनन हुआ रावण मगर, अवगुण है जीवंत।
अंगीकार जिसको किए, आज सभी हैं जंत।।
राम विजय गुण से लिए, वह साधक का पंत।
शेष सभी बस जय करें, अवगुण अमर अनंत।
“पाठक” अनुनय कर कहें, सुन लो हे भगवंत।
योग्य हमें करना सदा, गुणमय रहे उदंत।।
:- राम किशोर पाठक (शिक्षक/कवि)

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