रहबर
मुक्तक
हँसी मजाक में आदमी दूसरों को लूट जाता है
दिल से, दिमाग से या दोनों से ही बंदा टूट जाता है
कौन चाहता है छोड़ना रत्ती भर भी भाग अपना
किंतु घर, दफ्तर किसी का रहबर छूट जाता है
मुक्तक
हँसी मजाक में आदमी दूसरों को लूट जाता है
दिल से, दिमाग से या दोनों से ही बंदा टूट जाता है
कौन चाहता है छोड़ना रत्ती भर भी भाग अपना
किंतु घर, दफ्तर किसी का रहबर छूट जाता है