अष्ट सिद्धि नौ निधि हमें, वर देती है मात।
अष्ट सिद्धि नौ निधि हमें, वर देती है मात।
सौम्य सवेरा हो सदा, मात कही मुस्कात।।
पुलकित हर्षित आज है, मात कृपा कर प्राप्त।
कण-कण वासी माँ रहें, सदा हृदय में व्याप्त।।
रहती माँ की जब कृपा, करे कौन आघात।
आदि शक्ति माता यहांँ, खड़ी आज साक्षात।।
रोग शोक संताप हर, सुख देती है मात।
ममता लेकर माँ खड़ी, खुश होते सब तात।।
“पाठक” सविनय शरण में, मंद मंद मुस्कात।
अनुनय माता से करें, रहो सदा साक्षात।।
:- राम किशोर पाठक (शिक्षक/कवि)