माँ का अरमान
माँ का अरमान
तेरे सपनों की राहों से
कंकड़ पत्थर चुन हटा
निज व्यथा पीड़ा छिपा
यही सोचा नभ चर की
उड़ान कल होगा तेरा
सेज सजा पूलों की वगिया
निन्दिया सकुन भरे पलकों
कांटे कभी चुभ नहीं पावे
कल सुमंगल हो तेरा
पथ अपना संगीन बना
संतानों पर अरमान टिका ।
टी.पी . तरुण