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30 Sep 2025 · 1 min read

माँ का अरमान

माँ का अरमान
तेरे सपनों की राहों से
कंकड़ पत्थर चुन हटा
निज व्यथा पीड़ा छिपा
यही सोचा नभ चर की
उड़ान कल होगा तेरा
सेज सजा पूलों की वगिया
निन्दिया सकुन भरे पलकों
कांटे कभी चुभ नहीं पावे
कल सुमंगल हो तेरा
पथ अपना संगीन बना
संतानों पर अरमान टिका ।

टी.पी . तरुण

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