विजय
विजय सुखद है
फिर भी हमको
आगे तत्पर रहना है
चीख प्रतीक हार का है
इसको भली-भाँति समझना है
हम गर्जन करते हैं प्रतिपल
भारत की संतान
चीख,तमाशा,आडंबर
यह तेरा है संधान
हमें पता है कहाँ विजय है
कहाँ हार पहनाना है
मैदानों में रौंद-रौंद कर
किसको धूल चटाना है
किसको,कितना,कहाँ पटकना
यह भारत को ज्ञात
समझ नहीं पाए कोई तो
यह विधि का आघात।
-अनिल मिश्र