**"रास्तों के जाल में उलझा हूँ मैं,
**”रास्तों के जाल में उलझा हूँ मैं,
क्यूँ चलते चलते रुक गए वीरान रास्तो!
तन्हा हूँ आज मैं, ज़रा घर तक तो साथ दो,
मेरा अपना रास्ता था, तेरा अपना रास्ता।”**
**”रास्तों के जाल में उलझा हूँ मैं,
क्यूँ चलते चलते रुक गए वीरान रास्तो!
तन्हा हूँ आज मैं, ज़रा घर तक तो साथ दो,
मेरा अपना रास्ता था, तेरा अपना रास्ता।”**