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25 Sep 2025 · 1 min read

हसदेव किनारे

पल्लव-सी आशा साथ लिए,
गुनगुन-सा मन साथ लिए,
मोहम-प्रीत, हँसी साथ लिए,
झरनों की भीनी भान लिए,
पुष्प-परी-सी अदा चुराकर,
मेरे मन-उपवन में आना।

ज्योति-रूप मधु-अधर लिए,
इंद्रधनुष-सा प्रेम-रस पिए,
कुहुक-ध्वनि की सुधा समेटे,
अनहद सपनों की प्रीत लिए,
सुधा-प्रभा, हृदय-हंसिनी प्रिये,
मेरे मन-मधुवन में आना।

पुरवाई बरखा साथ लिए,
नदिया-सी मीठी प्यास लिए,
हिय-वीणा की रागिनी लिए,
रुनझुन पायल की ताल लिए,
मधुर प्रणय की आहट पाकर,
मेरे गाँव कभी तुम आना।

फूलों-सा आँचल लहराते,
अपनी सखी संग बतियाते,
अपनी लय में तुम इतराते,
राहों के फूल-से लजाते,
कबसे प्रतीक्षा है तुम्हारी,
हसदेव किनारे तुम आना।

✍️ दुष्यंत कुमार पटेल

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