Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
24 Sep 2025 · 1 min read

रस्ता रस्ता देख रहा है

रस्ता रस्ता देख रहा है
कहां किनारा दूर रहा
न जाने इस जीवन में
मानव क्यों मजबूर रहा

संघर्षों की रातों में भी
चेहरे पर क्या नूर रहा
कुछ करने की आशाएं
खुद में वो मगरूर रहा

रोशन कितना कर पाया
दिनकर से ना पूछा जाए
अंधकार गहरे आलम में
जुगनू ज्यादा मशहूर रहा

क्यों आया तू दुनिया में
क्या लाया तू दुनिया में
क्यों फिर तू अब रोता है
जो होता है वो होता है

रहबर से क्यों दूर रहा

Loading...