सास को रोटी न मिले, पूजा करे जो नारी,
सास को रोटी न मिले, पूजा करे जो नारी,
कैसी शक्ति-पूजा है ये, कैसी देवी-प्यारी?
घर की माँ को छोड़कर, देवी माँ को ध्याय,
ऐसे झूठे व्रत से क्या, माँ दुर्गा मुस्काय?
अधिकार की बातें करें, फ़र्ज़ न कोई माने,
ऐसे खोखले नवरात्र बस दिखावे के ठाने।
भूखी माँ की आह से, कौन व्रत सफल होय?
घर की देवी रूठ गई, मंदिर की क्या सोय?
फेमिनिज़्म का नाम लेकर, कर्तव्य सभी भुलाय,
ऐसी पूजा-भक्ति से, देवी कब खुश आय?