हम लड़के हैं, हमें कमाना है।
हम लड़के हैं, हमें कमाना है।
ये शब्द बचपन से हमारे कानों में पड़ते आए हैं।
कभी जेब खर्च मांगो तो कहा जाता है—
“बड़े होकर खुद कमाना।”
कभी सपने देखो तो कहा जाता है—
“पहले पैसा लाओ, फिर सब मिलेगा।”
हम लड़के हैं, हमें कमाना है।
इसलिए रोना मना है, टूटना मना है।
थक जाओ तो भी उठना ज़रूरी है,
गिर जाओ तो भी संभलना ज़रूरी है।
कोई नहीं पूछता कि हमें क्या चाहिए,
कोई नहीं समझता कि हम भी डरते हैं।
बस इतना याद दिलाया जाता है—
“तुम्हारे कंधों पर घर की जिम्मेदारी है।”
पर सच ये है
हम सिर्फ़ पैसे कमाने की मशीन नहीं हैं।
हम भी इंसान हैं,
हमारे भी सपने हैं,
हमारी भी तकलीफ़ें हैं।
फिर भी हम चलते हैं,
मुस्कुराते हैं, निभाते हैं,
क्योंकि हमें सिखाया गया है—
“हम लड़के हैं, हमें कमाना है।”