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20 Sep 2025 · 1 min read

ज़ालिम ही अपराध करेगा ज़ालिम ही भड़काएगा

ग़ज़ल

क्या मालूम था बार-बार जग ऐसा दौर दिखाएगा
ज़ालिम ही अपराध करेगा ज़ालिम ही भड़काएगा

एक रायता, एक ही थाली, लेकिन तलब है कईयों को
बच्चे को गर मिल ना पाया वो इसको फैलाएगा

दरबारों में जाओ तो फिर इज़्ज़त-साख नहीं रहती
एक पुराना दरबारी ही दुनिया को समझाएगा

तेज़ाबों के खानदान का अगला नाम मोहब्बत है
राहत तो बस नाम में होगी, ज़हर सदा बरसाएगा

घटिया काम किया था जिसने बढ़िया उसको दाम मिला
तभी तो इक उम्मीद मिली है, ऐसा फिर हो जाएगा

-संजय ग्रोवर

( तस्वीर: संजय ग्रोवर )

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