आज के रिश्ते
आराध्या एम.बी.ए. कर ली थी। वह एक प्रतिष्ठित कम्पनी में छह महीने पहले से बतौर असिस्टेंट मैनेजर कार्यरत थी। माता-पिता उनके मैरिज को लेकर सोचने लगे थे। वे रिश्तेदारों और चिर- परिचितों से बात- बात पर आराध्या की प्रशंसा करते नहीं थकते थे।
आज अवकाश का दिन था। दुर्गाशंकर घर पर ही थे। उनको अपने दोस्त राजकिशोर जी के बेटे अमित का ध्यान आया। अमित लोक प्रशासन में स्नातकोत्तर परीक्षा में यूनिवर्सिटी टॉपर था और प्रशासनिक सेवा परीक्षा प्री तत्पश्चात मेंस में क्वालीफाई होकर इण्टरव्यू देकर आ गए थे। नतीजे आने शेष थे।
शाम की चाय की चुस्की लेते हुए उसने दोस्त राज किशोर जी को फोन लगाया। मगर फोन राजकिशोर की धर्मपत्नी ने उठाया। मिनट- दो- मिनट औपचारिक चर्चा पश्चात अमित के रिजल्ट के बारे में पूछा तो पता चला कुछ अंकों से सलेक्शन होने से चूक गए हैं।
यह जानकर दुर्गाशंकर का चेहरा उतर गया। तब पत्नी बोली – क्या हुआ?
दुर्गाशंकर बोले नसीब खराब है। यूनिवर्सिटी टॉपर रहने से क्या होता है? बेरोजगार लड़के से रिश्ते की चर्चा कोई कैसे चलाए?
मेरी 16वीं कृति : मृगतृष्णा (लघुकथा- संग्रह) से…।
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
प्रशासनिक अधिकारी
हरफनमौला साहित्य लेखक।