एक बेटे की चुप्पी
एक बेटे की चुप्पी
एक बेटा कभी नहीं चाहता कि वो अपने परिवार से दूर हो। वो तो हमेशा उनकी खुशी ही चाहता है।।
माता-पिता बेटे की बेरोजगारी और झुंझलाहट तो देख लेते हैं, पर उसकी आँखों की उदासी और मन का प्रेम नहीं देख पाते।।
उन्हें उम्मीद होती है कि उनका बेटा बुढ़ापे की लाठी बने। पर कई बार बेटे की परिस्थितियाँ उसे ये मौका ही नहीं देतीं।।
उसकी उदास आँखों में प्रेम का समंदर होता है, पर उसके शब्द तानो के बाण से घायल हो दिल में ही रह जाते हैं।।
अपने ही परिवार की उपेक्षा, उसे भीतर तक तोड़ देती है। और धीरे-धीरे उसके सारे अरमान, अपने ही घर से मुँह मोड़ लेते हैं।।
एक बेटा उम्मीदों की सूली पर रोज़ मरता है… पर कह नहीं पाता
कितना प्रेम करता हूँ…”