Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
7 Sep 2025 · 2 min read

लुप्त विरासत (भारत के प्राचीन विश्वविद्यालय)

लुप्त विराशत
(भारत के प्राचीन विश्वविद्यालय)

वैदिक काल से ही भारतवर्ष में शिक्षा एवं शिक्षण को बहुत अधिक महत्व दिया गया है। मनुष्य के सर्वांगीन विकास के लिए शिक्षा अति आवश्यक है। भारतवर्ष में गुरु का महत्व माता-पिता से भी बढ़कर माना गया है- इसलिए भारत को विश्व गुरु का दर्जा भी दिया जाता है। जिस काल में विश्व के सभी देश अज्ञानता के अंधकार में थे उस समय भारत ज्ञानरुपी सागर में नहा रहा था। इसी महान देश में सबसे पहले विश्वविद्यालय की संकल्पना का उदय हुआ। भारत में प्राचीन काल से ही शिक्षा के कई केन्द्र खोले जाने लगे थे। वैदिक काल के बाद जैसे-जैसे समय आगे बढ़ता गया वैसे-वैसे भारत की शिक्षा पद्धति और भी अधिक फलती-फूलती गई। यह गुरुकुलों, आश्रमों और पाठशालाओं से शुरू होता हुआ विद्यालय और विश्वविद्यालय के रूप में बदलता गया। प्राचीन समय में भी पूरे भारतवर्ष में 13 बड़े-बड़े विश्वविद्यालयों की स्थापना हुई थी। 8वीं शताब्दी से लेकर 12वीं शताब्दी के मध्य भारत पूरे विश्व में शिक्षा का सबसे बड़ा और प्रसिद्ध केन्द्र था। यहाँ गणित, भूगोल, चिकित्सा विज्ञान, ज्योतिष विज्ञान के साथ-साथ अन्य विषयों को भी पढ़ाया जाता था।

आज के समय में अधिकतर लोग सिर्फ दो या तीन ही प्राचीन विश्वविद्यालयों के बारे में जानते है। ‘नालंदा विश्वविद्यालय’ और ‘तक्षशिला विश्वविद्यालय’। ये दोनों बहुत ही प्रसिद्ध थे। इसलिए लोग आज भी इसके बारे में जानते हैं लेकिन इसके अलवा भारतवर्ष में ग्यारह और भी विश्वविद्यालय थे जिनके विषय में अधिक जानकारी प्राप्त नहीं है। यहाँ उन्हीं में से कुछ अन्य विश्वविद्यालयों की जानकारियों को एकत्रित करने का प्रयास किया है।

नालंदा विश्वविद्यालय – यह प्राचीन भारत का सबसे उच्च, महत्वपूर्ण और विश्वविख्यात शिक्षा का केन्द्र था। यह विश्वविद्यालय वर्तमान बिहार के पटना शहर से 88.5 किलोमीटर दक्षिणपूर्व और राजगीर से 11.5 किलोमीटर में स्थित था।

तक्षशिला विश्वविद्यालय – तक्षशिला विश्वविद्यालय की स्थापना 2700 वर्ष पहले हुई थी। यह स्थान आधुनिक पाकिस्तान (जो भारत वर्ष का ही अंग था) में पड़ता है।

विक्रमशिला विश्वविद्यालय – विक्रमशिला विश्वविद्यालय की स्थापना पाल वंश के राजा धर्मपाल ने करवाया था। यह विश्वविद्यालय बिहार के भागलपुर में था।

वल्लभी विश्वविद्यालय – यह विश्वविद्यालय सौराष्ट्र (गुजरात) में स्थित था। 6वीं शताब्दी से लेकर 12वीं शताब्दी तक इसकी प्रसिद्धी अपनी चरम पर थी।

उदांत पुरी विश्वविद्यालय – यह विश्वविद्यालय मगध अर्थात आज के बिहार में स्थापित था। इसकी भी स्थापना पालवंश के राजाओं ने करवाया था।

सोमपुरा विश्वविद्यालय – इस विश्वविद्यालय की स्थापना भी पालवंश के राजाओं ने करवाया था। यह विश्वविद्यालय आज के बांग्लादेश के नवगांव जिले की बादलगाछी के पहाड़पुर में स्थित था। यह 8वीं शताब्दी से 12वीं शताब्दी के बीच में कार्यरत था।

पुष्पगिरी विश्वविद्यालय – पुष्पगिरी विश्वविद्यालय वर्तमान भारत के उड़ीसा प्रान्त में स्थित था। इस विश्वविद्यालय की स्थापना तीसरी शताब्दी में कलिंग के राजाओं ने की थी।

जगदला विश्वविद्यालय – यह पश्चिम बंगाल में था इसे भी पाल वंश के राजाओं ने ही बनवाया था।
नागार्जुनकोंडा विश्वविद्यालय – यह आंध्रप्रदेश में था।
शारदा पीठ- यह विश्वविधालय कश्मीर में था।

कांचीपुरम विश्वविद्यालय – यह तमिलनाडु में था।

मणिखेत विश्वविद्यालय – यह कर्नाटक में था।

वाराणसी विश्वविद्यालय – उतर प्रदेश में ( 8वीं से आधुनिक काल तक।

जय हिंद

Loading...