वर्णों की बूंदें
अक्षर हैं वर्णों की बूंदें,
मन की खुशबू सी महके।
सार्थक स्वर, मधुर व्यंजन,
मिलकर रच दें भावों का संगम।
कभी बने ये गीत सुहाने,
कभी सजाएँ सपनों के ठिकाने।
शब्दों के साथ खिलें अक्षर ,
भावनाओं के दीप मिलें।
अ से आती अरुण किरण,
क से खिलता नंद में कमल।
म से बनता मधुर मिठास,
स से सजता सौंदर्य-आभास।
जब अक्षर जुड़ते, सुंदर सुयोग्य
विचारों के मोती संग लुढ़कते।
इनके संग सृजन का उत्सव,
जीवन पाता मधुरतम पद्य-नव।