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2 Sep 2025 · 1 min read

रोशनी से नहाए शहर

रोशनी से नहाए शहरों में
अंधेरा भी बसता है कहीं
चमचमाते मकानों के साथ होती
टिमटिमाते दियों की आंख मिचौली

हर दिन त्योहार सा बनता कहीं
कहीं भूख से फाके करते हैं
साजो समान से भरे घर कहीं
कहीं पल पल मौत से लड़ते हैं

हकीकत ये भी है
असलियत वो भी
हर तरफ इंसान है, मगर
इंसानियत का पता नहीं

चित्रा

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