महिला सशक्तिकरण
कभी मेरे भरोसे मत रहना
तुम अपनी रक्षा ख़ुद करना
कभी मुझपे निर्भर मत रहना
तुम अपनी रक्षा ख़ुद करना…
(१)
मैं भेड़ियों से भरे
इस जंगल में
दूर-दूर तक फैले
इस दलदल में
तुमको कहां तक बचाऊंगा
आख़िर ऐ मेरी बहना…
(२)
बैसाखी की आदत
झूठ-मूठ में
एक अपाहिज
बना देगी तुम्हें
चाहे जितनी ठोकर मिले
अपने पैरों पर ही चलना…
(३)
आज डर से आगे
जो निकलता है
कल वही दुनिया
को बदलता है
इस मूर्दा समाज के जर्जर
सांचे में हरगिज़ मत ढलना…
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