नन्ही परी
मैं अभी 2 ही दिन की हूँ
मेरी आँखें पूरी तरह नहीं खुली है
अभी तो मुझे दीन दुनिया की कोई खबर नहीं है
मुझे भूख लग रही है
मैंने रोने की कोशिश की
कि मेरी रोने की आवाज सुन
मेरी माँ मुझे दूध दे देंगी
पर मैं रो नहीं पा रही थी
मेरे मुँह में किसी ने पत्थर ठुस रखे थे
कौन था वो,
जिसने मुझे इस हाल में नाले में
छोड़ रखा है
मुझे जगह जगह कौवों ने भी
नोच रखा है
माँ कहाँ हो तुम
क्या तुम मुझे ढूंढ़ नहीं रही हो
आखिर मेरा क्या कसूर है
जो मुझे ऐसे फ़ेक रखा है
मेरी सांस भी नहीं आ पा रही है
मुझे बचा लो,माँ
मुझे बचा लो
मैं एक लड़की हूँ, तो क्या हुआ
तुम भी तो एक लड़की हो
क्यों मारना चाहती हो, तुम मुझे
लगता है, आज मेरा आखिरी दिन हो
पर ये क्या
कोई मुझे अस्प्ताल ले जा रहा है
अरे मैंने तो किसी माँ की सूनी गोद
भर दी है।
चलो किसी को तो मेरी चाह है
अब मैं भी रंग बिरंगी दुनिया देखूंगी