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29 Aug 2025 · 1 min read

*साम्ब षट्पदी---*

साम्ब षट्पदी—
29/08/2025

कायाकल्प।
करने चले हो,
सत्य तो यही है जल्प।।
आज तक जो है होता आया।
तेरा उसमें भी नियंत्रण नहीं,
क्या तेरा था जिसको तुमने पूरा पाया।।

है अत्यल्प।
जीवन प्रकल्प।।
सीख रहा अभी जीना।
कड़वे मीठे रसों को पीना।।
स्वाद बदलते रहते हैं जाना।
रस सर्जक या उपभोक्ता पहचाना।।

निर्विकल्प।
मन ये होता है।
महा शून्य पर जाता,
जहाँ न हँसता न रोता है।।
मैं स्वयं को ही खोजता रहता हूँ,
मैं जीव, यंत्र, कठपुतली या संकल्प।।

— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य
(बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)

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