बन्दरों की समस्या
छप्पय छन्द
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(छन्द विधान- एक रोला छन्द+एक उल्लाला छन्द)
रक्षा करो हनुमान, सेना विकट तुम्हारी।
इनके अब उत्पात, बने बहु संकट भारी।
मर्कट बड़े विशाल, बचाओ है गिरिधारी।
लता पता अरु बेल, उजाड़ी खेती सारी।।
मण्डी हाट नहिं जा सकते, छीन लेत सामान हैं।
हैं काट लेत कपि ‘राज’ ये, करता कौन निदान है।।
2.
करो कृपा हे नाथ, कीश उत्पाद मचाते।
देते धावा बोल, लोग छत से गिर जाते।
लेते भोजन छीन, खुले में नहिं खा पाते।
काटत मर्कट जोर, लोग जब मन्दिर जाते।।
‘राज’ परेशानी है बड़ी, होता नहीं निदान है।
न्याय व्यवस्था देश की, लेगी कब संज्ञान है।।
~राजकुमार पाल (राज) ✍🏻
(स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित)