परित्याग
क्रोधाभाव के
अंतिम स्वरूप
उत्पन्न होने वाला भाव है “परित्याग,”
परन्तु, किसी नई राह में
पहला कदम रखने
से पहले का भाव है
“स्विकार्यता”
और जब तक आपमें
यह भाव नहीं आया है
तो
समझिए
अभी भी आप वहीं खड़े हैं
और इतिहास को दोहरा रहै है।