ओ मेरी जान तुम
(शेर)- हाँ, तुम ऐसे ही, मेरी इन बाँहों में रहो।
तुम जान हो मेरी, ऐसे ही पास रहो।।
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ओ मेरी जान तुम, रहो ऐसे पास मेरे।
मिलती है मुझको साँसें, रहने से पास तेरे।।
ओ मेरी जान, ओ मेरी जान।—-(2)
ओ मेरी जान तुम————————।।
हरपल तुम्हें ही याद, करता है यह दिल।
तुम्हारे बिना बेचैन, हो जाता है यह दिल।।
सुनाता है सबको यह, तारीफ के गीत तेरे।
ओ मेरी जान तुम——————–।।
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(शेर):- लड़ जाऊँगा इस जमाने से मैं, तुम्हारे लिए।
छीन लाऊँगा नभ से सितारें मैं, हमारे लिए।।
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हो जाती है उदास कलियां, दूर तेरे जाने से।
रूठ जाते हैं पंछी सब, दूर तेरे जाने से।।
रहते हैं रोशन दीपक, रहने से पास तेरे।
ओ मेरी जान तुम——————-।।
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(शेर):- मैंने तो बुने हैं सपनें, सिर्फ तुम्हारे लिए ही।
जी रहा हूँ मैं जहां में, सिर्फ तुम्हारे लिए ही।।
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सपनें सँजोये हैं, मैंने तो तुम्हारे लिए।
मांगी है रब से दुहायें, मैंने तुम्हारे लिए।।
तुम्हारे बिना तो अधूरे, अरमां है सब मेरे।
ओ मेरी जान तुम——————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला-बारां(राजस्थान)