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27 Aug 2025 · 1 min read

मेरी फितरत मेरा आईना जानता है

वो मेरी ख़ामोशी को देखना जानता है
मेरी फ़ितरत मेरा आईना जानता है l

हाल ए दिल बता तो दूँ मगर किस से कहूं
कोई मिला नहीं जो पूछना जानता है l

पेशानी पे गमों की सिलवटे तो है मगर
ये दिल हँस कर गुजरना जानता है l

नादानियाँ करने की इक उम्र है जनाब
मगर कौन भला उम्र भूलना जानता है l

के जिन्दगी से भी कोई शिकायत नहीं
कोई मेरी तहरीर को समझना जानता है l

मेरी महफ़िल मे दुश्मन का एहतराम है
फौजी,दुश्मन को दोस्त मे बदलना जानता है l

—–फौजी मुंडे सोहनलाल मुंडे

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