देखो बाग में आज फूल खिल आएं हैं,
देखो बाग में आज फूल खिल आएं हैं,
मधुकर आज फूलों से मिलने आए हैं,
सजी हुई है पेड़ों की दाल, पत्तों से, फूलों से,
हरियाली के झूलों से,
चौखट पर खड़ा होकर मैं,
जिंदगी को पलट कर देख रहा हूं,
उस विरान जीवन में,
देखो, आज फूल खिल उठे हैं,
जिनकी राह देख रहा था,
वो तो नहीं आए हैं,
बिना इंतजार किए,
देखो, बाग में फूल खिल आएं है,
दिल, जो मुरझाया हुआ था, आज खिल उठा है,
बेरंग जीवन में रंग भरने,
आज, फूल खिल आएं है,
वो तो नहीं आए है, पर,
देखो, बाग में आज फूल खिल आएं है।
— प्रणव राज