होके मायूस ना यूं शाम की तरह ढलिए
होके मायूस ना यूं शाम की तरह ढलिए
जीवन हर रोज जंग है, इसे जारी रखिये
खरगोश तो रूक गया मंजिल से पहले ही
तुम कछुआ की मानिंद धीरे धीरे चलते रहिए
…..✍️ अरविंद कुमार गिरि
होके मायूस ना यूं शाम की तरह ढलिए
जीवन हर रोज जंग है, इसे जारी रखिये
खरगोश तो रूक गया मंजिल से पहले ही
तुम कछुआ की मानिंद धीरे धीरे चलते रहिए
…..✍️ अरविंद कुमार गिरि