जब पैसा बोलता है,तो इंसान चुप हो जाता है। इसका ये अर्थ नहीं
जब पैसा बोलता है,तो इंसान चुप हो जाता है। इसका ये अर्थ नहीं है कि वह गूंगा है,बल्कि वो आदमी के मुंह से पैसे को बोलते देख हतप्रभ हो जाता है।
पारस नाथ झा
जब पैसा बोलता है,तो इंसान चुप हो जाता है। इसका ये अर्थ नहीं है कि वह गूंगा है,बल्कि वो आदमी के मुंह से पैसे को बोलते देख हतप्रभ हो जाता है।
पारस नाथ झा