"गुमसुम सा दरिया बन गया है दिल"
गुमसुम सा दरिया बन गया है दिल,
इक आरज़ू की उम्मीद लिए।
ना जाने किस राह पे चल पड़ा है दिल,
इक आरज़ू की उम्मीद लिए।
हर साँस में बस यही फ़रियाद है,
तेरी एक झलक को ये दिल बेताब है।
हर पल तेरी यादों का साया है,
इक आरज़ू की उम्मीद लिए।
ये कैसा इंतज़ार है, ये कैसा इश्क़ है,
नैनों में तेरी तस्वीर है, हर लब पे तेरा ज़िक्र है।
हर धड़कन में तेरा नाम गूँजता है,
इक आरज़ू की उम्मीद लिए।
ना दिन का पता है, ना रात का,
ये दिल बस तेरी ही बात का।
हर लम्हा तेरी चाहत में गुज़ारा है,
इक आरज़ू की उम्मीद लिए।
अँधेरों में तेरी रोशनी है,
हर गम में तेरी ख़ुशी है।
ये दिल तेरी मोहब्बत का मारा है,
इक आरज़ू की उम्मीद लिए।
तू आए तो बहार आ जाए,
हर ख्वाब मेरा सच हो जाए।
ये दिल तेरी पनाह में रहना चाहता है,
इक आरज़ू की उम्मीद लिए।
ये दरिया अब तूफ़ान बन जाएगा,
जो तू इक बार नज़रें मिलाएगा।
ये दिल तो तेरा ही दीवाना है,
इक आरज़ू की उम्मीद लिए।
©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”