कुण्डलिया छंद
!!श्रीं !!
सुप्रभात !
जय श्री राधेकृष्ण !
शुभ हो आज का दिन !
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कुण्डलिया
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लिखनी सुंदर बात है , कलम थमाई हाथ ।
लिख मत अपना दर्द तू, दे दूजे का साथ।।
दे दूजे का साथ, यही परमार्थ कहाता।
दूजे की जो पीर, कलम से लिखे बताता।।
‘ज्योति’ न कर तू बात, कभी भी चुपड़ी-चिकनी।
कलम थमाई हाथ, बात सच तुझको लिखनी ।।
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महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा।
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