मिरा दिल जलते ही किसी की अमानत साथ जल गई
“मिरा दिल जलते ही किसी की अमानत साथ जल गई”
मिरा दिल जलते ही किसी की अमानत साथ जल गई,
वो हसरतें, वो मोहब्बतें, उसकी उल्फत साथ जल गई!!
तेरे वादों के वो चिराग़, जो रोशन थे दिल की राहों में,
उम्मीदों की वो रोशनी, उसकी हर सूरत साथ जल गई!!
तेरी आँखों में जो ख़्वाब थे, वो बिखर गए धुएं में यूँ,
रंगीन पल, हँसीं लम्हात, हर इक क़िस्मत साथ जल गई!!
मेरी आवाज़ की तन्हाई, जब गूँजी तेरे दर पे चुपचाप,
उस सन्नाटे की चीख़ें भी, दिल की हालत साथ जल गई!!
वो लम्हा जब तूने देखा था, मेरी आँखों में प्यार को,
उस वक़्त की वो सारी ताबीर, मोहब्बत साथ जल गई!!
मेरे अरमानों की बस्ती, अब वीरान हुई है ख़ामोश,
हर इक चाहत की रंगत, उसकी बसरत साथ जल गई!!
वो चाँदनी रातें जब हम थे, इक दूजे में खोए हुए,
अब उन यादों की हर रात, एक मिन्नत साथ जल गई!!
तू गया जो छोड़कर मुझको, तेरी हर चीज़ रह गई,
पर उस रात की तन्हाई में, मेरी हिम्मत साथ जल गई!!
अब दिल में है सन्नाटा, और आँखों में बस धुआँ,
तेरे प्यार की वो आग, मेरी उल्फ़त साथ जल गई!!
मेरी तक़दीर के पन्नों पर, जो लिखा था नाम तेरा,
उस नाम की हर कहानी, उसकी इबारत साथ जल गई!!
©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”