ख़ामोश प्रेम लिए खड़ा हूँ माधव,
ख़ामोश प्रेम लिए खड़ा हूँ माधव,
कृपा कहीं है तो बस यही है।
दरशन को अखियाँ तरस रही हैं,
मिलन की राहत भी बस यही है।
तुम्हारे चरणों की आस है केवल,
मेरा सहारा तो बस यही है।
कृपा करो हे प्रिय मोहन मेरे,
आ गया दर पर दीन खड़ा है।
रूठे हैं किस्मत के सब तारे,
सहारा एक है तो बस यही है।
शरण तुम्हारी जो मिल सके प्रभु,
जीवन का सुख भी बस यही है।
— ✍️ सुशील मिश्रा ‘क्षितिज राज’