इन हाथों को हथकंड़ों ने लूटा है।
इन हाथों को हथकंड़ों ने लूटा है।
कितने सारे चिटफंडों ने लूटा है।
कितने सभ्य हुए हैं हम तुम देखो तो,
हमे आज भी पाखंडों ने लूटा है।
राजेश पाली ‘सर्वप्रिय’
इन हाथों को हथकंड़ों ने लूटा है।
कितने सारे चिटफंडों ने लूटा है।
कितने सभ्य हुए हैं हम तुम देखो तो,
हमे आज भी पाखंडों ने लूटा है।
राजेश पाली ‘सर्वप्रिय’