खोजती है फिर आंखें
खोजती है फिर आंखें
कुछ जाने पहचाने चेहरे
बांट जोहती है पल पल
शायद आए कोई अपने
संग बैठे हंसे खिलखिलाए
कुछ मेरी सुने कुछ अपनी बताऐं
ना वक्त की बंदिशें हो
ना हो रिवाजों के पहरे
खोजती है फिर आंखें
कुछ जाने पहचाने चेहरे
खोजती है फिर आंखें
कुछ जाने पहचाने चेहरे
बांट जोहती है पल पल
शायद आए कोई अपने
संग बैठे हंसे खिलखिलाए
कुछ मेरी सुने कुछ अपनी बताऐं
ना वक्त की बंदिशें हो
ना हो रिवाजों के पहरे
खोजती है फिर आंखें
कुछ जाने पहचाने चेहरे