तेरा प्यार
गुस्से में जब तुम आँखें चढ़ाती हो,
कसम से और भी हसीन नज़र आती हो।
नाराज़ होकर भी जब पास बुला लेती हो,
यही तो असली मोहब्बत निभाती हो।
तेरी डाँट में भी छुपा है तेरा प्यार,
वरना कौन यूँ सहेजता है हमें बार–बार।
तू ही रूठे, तू ही मनाए, यही खेल है अपना,
तेरे बिना अधूरा हूँ मैं, तू ही है मेरा सपना। ❤️