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23 Aug 2025 · 1 min read

बाण माता जी के दोहे

मनोहर रूप मोवणौं, आभा अपरम्पार।
दरसण बायण मात रा, सुभ व्है सांझ सवार।।

जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया…✍️

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