कर्ज का बोझ लिए लाचार कंधों पर कब तक चलता।
कर्ज का बोझ लिए लाचार कंधों पर कब तक चलता।
एक किसान थके कदमों से अपने खलियान तक पहुंचा।।
ओले के मुआवजे का फार्म तहसील तक न पहुंचे।
लेकिन आधा बीघा परायली का धुआं दिल्ली तक पहुंचा।
राजेन्द्र “राज”