गांव के किस्से पुराने याद जब आने लगे
2122 2122 2122। 212
खेत में सरसों के पौधे महके, लहराने लगे
गांव के किस्से पुराने याद जब आने लगे
धोखा देने में महारत उन्हें हासिल है अभी
आंखों में आंसू लिए झूठी कसमें खाने लगे
पूछता है बाग का हर पत्ता-पत्ता आपसे
गांव को सब छोड़कर काहें शहर जाने लगे
छाई हरियाली तेरे घर,द्वार,आंगन सब जगह
हो गया शहरी तु चेहरे कैसे मुरझाने लगे
अब शहर की भीड़ से थककर मन भारी सा है
डाक की वादी में दिल हम अपना बहलाने लगे
नूर फातिमा खातून नूरी
जिला -कुशीनगर