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22 Aug 2025 · 1 min read

#आज_का_मुक्तक...

#आज_का_मुक्तक…
“पता नहीं इस मुल्क़ में कैसी फैली है बीमारी।
फंस जाता है ख़ुद फ़साद में हर मौसम त्यौहारी।।
षड्यंत्रों से भरी खोपड़ी शर्म हुई निर्वासित।
बात एकता की करते हैं लोग विभाजनकारी।।”
😞प्रणय प्रभात😞

#पर_उपदेश_कुशल_बहुतेरे।

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