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20 Aug 2025 · 1 min read

ऐ दौर मेरे बचपन के तू वापिस आजा,

ऐ दौर मेरे बचपन के तू वापिस आजा,
चल चलूं तेरे साथ पकड़ तेरा हाथ।
उन पुरानी गलियों में और पुरानी यादों में,
लेटू मां के आंचल तले और मौज मस्ती करु।
ले चल मुझे कंचो और पतंग की दुनिया में,
खेत खलिहानों में तितलियों के संग खेलूं,
वो बागों में झूले वो बचपन के मेले,
वो कुल्फी वो बर्फी आइसक्रीम के ठेले।
चल एक बार मेरे साथ मेरी याद में जी ले,
ऐ दौर मेरे बचपन के तू वापिस आजा।
वो बचपन में बाबा की कांधे की सवारी,
वो खुशियां वो फज़ाऐ थी कितनी प्यारी ।
मां की वह ममता वह बाबा का गुस्सा,
वो लोरी सुनाना वो बचपन का किस्सा।
वो बर्फ का गोला वो चूर्ण की पुड़िया,
वो चीनी का गुड्डा काते की गुड़िया।
वो बारिश के दिन में कागज की नाव,
ऐ दौर मेरे बचपन के वापिस तू आजा।
स्कूलों में जाकर के फाडी़ थी काफी,
दुकानों से मिलती थी मेजर की टॉफी।
ना शिकवा गिला कोई तुझसे किया था,
मिला जो मुझे वही खा लिया था।
ऐ दौर मेरे बचपन के तू वापिस आजा।।
फायज़ा फातिमा

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