*बेचारे कुत्ते हुए, हम जन हैं खूॅंखार (कुंडलिया)*
बेचारे कुत्ते हुए, हम जन हैं खूॅंखार (कुंडलिया)
_________________________
बेचारे कुत्ते हुए, हम जन हैं खूॅंखार
गली-सड़क उनकी हुई, सभी जगह अधिकार
सभी जगह अधिकार, हमें अन्यत्र बसाऍं
छोड़ें हम ही गॉंव, दूर शहरों से जाऍं
कहते रवि कविराय, मनुज कुत्तों से हारे
हमें डराते रोज, मगर फिर भी बेचारे
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451