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18 Aug 2025 · 1 min read

*साम्ब षट्पदी---*

साम्ब षट्पदी—
18/08/2025

कुशलता।
देती आई सदा,
जीवन में सफलता।।
क्षमताओं को तोलती आई।
विफलताओं को कैद करती है,
यही है सारे जीवन की नेक कमाई।।

विचित्र हो।
कैसे भी मित्र हो।।
बातें भी करते नहीं।
मिलते भी नहीं तुम कहीं।।
मित्र होने का करते तो हो दावा।
स्वभाव में दिखाई देता सिर्फ दिखावा।।

खैर छोड़ो
विवशता भी है।
जवाबदारियां भी है,
मन माँगे चपलता भी है।।
अध्याय को यहीं पड़़ा रहने दो,
कदापि संबंध ही दिल से मत जोड़ो।।

— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य
(बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)

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