भजन
बन्दे पाया जन्म महान रे तू कर ले सेव गुरु की। कर ले सेव गुरु की ,तू कर ले सेव गुरु की।।
लख ८४ में फिरना ये बार- बार नहीं मिल ना ।
जो तू चाहे कल्याण रे तू कर ले सेव गुरु की।।
मत उलझे मोह माया में ,भर लें गुरमति काया में।
छाया में आनन्द महान रे तू कर ले सेव गुरु की।।
ऋषियों ने आनन्द लूटा,गये गाड़ प्रेम का खूंटा ।
संतों ने किया गुणगान, रे तू कर ले सेव गुरु की।।
ब्रह्मज्ञान का सगल पसारा,गुरमति का दर्जा न्यारा।।
‘मंगू’ नादान बिचारा, है बहुत बड़ा अभिमान रे तू कर ले सेव गुरु की।