कृष्ण लिए अवतार
टूटा ताला जेल का, मुर्छित पहरेदार।
काली अँधियारी निशा, कृष्ण लिए अवतार।।
देख लाल के रूप को,माता हुईं निहाल।
बार-बार अति नेह से,चूम रहीं हैं गाल।।
मात देवकी जेल में,दिखलाया निज रूप।
बतलाया वसुदेव को,जीवन का प्रारूप।।
सुन वाणी भगवान की,सुत को रखकर सूप।
रात्रि पहर ही जेल से, चले नंद घर भूप।।
वसुदेव तनय को लिए, पहुँचे यमुना तीर।
देख व्यथित मन हो गया,यमुना जी का नीर।।
छूते ही पग श्याम के,नीर बनाई राह।
बाल रूप छवि देखकर,मिटी हृदय की चाह।।
मात यशोदा की बगल,सुत को दिया लिटाय।
छोड़ लाल को नंद घर,नैनन नीर बहाय।।
मथुरा वापस आ गए, छोड़ लाल वसुदेव।
बंद द्वार सब हो गए, अपने आप तदैव।।
आँख यशोदा की खुली,पाया सम्मुख लाल।
जोर-जोर से पीटने, लगीं यशोदा थाल।।
करुणा कर भगवान ने,भर दी सूनी गोद।
पाकर सुत निज गोद में,भरा हृदय अति मोद।।
सारे गोकुल गाँव में, कृष्ण जन्म की धूम।
नारी सोहर गा रहीं,सभी रहे हैं झूम।।
सुन्दर मुखड़ा लाल का,यशुमति रहीं निहार।
अति प्रसन्न हो नंद जी,बाँट रहे उपहार।।
बड़भागी हैं नंद जी,मिला कृष्ण सा लाल।
मात यशोदा की हुई,सूनी गोद निहाल।।
बाल रूप गोपाल की,मोहक है मुस्कान।
मात यशोदा का लला, गोकुल की है शान।।
स्वरचित रचना-राम जी तिवारी”राम”
उन्नाव (उत्तर प्रदेश)