जग के पालनहार, टोकरी में नंदलाल,
जग के पालनहार, टोकरी में नंदलाल,
काँपते रहे चरण, फिर भी अडिग रहे भाल।
बरस रही बारिश, गहराती रही नदिया की धार,
हर क़दम पर बोले “गोविंद! तू ही आधार।”
जग के पालनहार, टोकरी में नंदलाल,
काँपते रहे चरण, फिर भी अडिग रहे भाल।
बरस रही बारिश, गहराती रही नदिया की धार,
हर क़दम पर बोले “गोविंद! तू ही आधार।”