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15 Aug 2025 · 1 min read

शीर्षक - पूर्ण आज़ादी

शीर्षक – पूर्ण आज़ादी
बड़ी मुश्किलों से ,
मिली थी हमको,
अंग्रेजों से आज़ादी ।
वीरों ने थी, जान गंवाई ।
अंग्रेजों ने मुंह की खाई ।
वतन पर मिटने वालों ने,
मिटकर यहां शहादत पायी ।
लाखों कुर्बानी दे कर ,
भारत ये आज़ाद हुआ ।

और तभी खुशियों से ,
हर घर था आबाद हुआ ।
बड़ी कोशिश के बाद,
तिरंगा हर घर में था लहराया ।
अपनों को खोकर लोगों ने,
आज़ादी को था पाया ।
अब भी नहीं मिली है हमको ,
छोटी सोच से आज़ादी ।
नारी शोषण से आज़ादी ,
अन्धविश्वास से आज़ादी ,
हर पल बढ़ते, अपराधों से भी ।
कहां मिल पायी आज़ादी ?
फ़िर कैसी ये आज़ादी ?
हम होंगे पूर्ण आज़ाद जब,
कोई अपराध नहीं होगा ।
बालिकाएं खुल कर निकलेंगी ,
और कोई शिकार नहीं होगा ।
राहों पर चलती स्त्री के ,
चेहरे पर तेज़ाब नहीं होगा ।
हां बस वही होगी ,इस देश की ।
सही मायनों में आज़ादी ।
प्रगति दत्त

शीर्षक – पूर्ण आज़ादी
प्रगति दत्त

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