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15 Aug 2025 · 1 min read

*साम्ब षट्पदी---*

साम्ब षट्पदी—
15/08/2025

ये तिरंगा।
अपनी शान है,
बहती जहाँ है गंगा।।
त्रिविध ताप का हो हरण।
जिसने भी आदर्शों को माना यहाँ
उसको सदा भारत ने दी है शरण।।

ये आजादी।
जिसने दिला दी।।
उनका नमन करें।
आदर्शों को विचार में भरें।।
अपनी परतंत्रता को तोड़ दें।
नवभारत को नवीन पथ मोड़ दें।।

ये भारत
मेरे सपनों का।
है खुशहाल जीवन,
अब सारे अपनों का।।
इसकी उड़ान असीम अनंत,
हर क्षेत्र में है पाई नयी महारत।।

— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य
(बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)

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