भारत माॅं के अरुण भाल पर
गीत
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अपने बल पौरुष की हमको, उदित शक्ति दर्शानी है।
भारत माॅं के अरुण भाल पर, विजय ध्वजा फहरानी है।।
आज पुन: दुश्मन ने फिर से, सीमा पर ललकारा है।
छल-बल कु-प्रपंच वह रचता, युद्ध सदा जो हारा है।
अपने ज्ञान बुद्धि कौशल की, शक्ति पुनः दिखलानी है।
भारत माॅं के अरुण भाल पर, विजय ध्वजा फहरानी है।।
बनकर के शेखर सुभाष अब, उसको सबक सिखाएंगे।
महाराणा प्रताप के जैसा, अब बल-पौरुष दिखलाएंगे।
महारानी लक्ष्मी बाई जैसी, फिर से गाथा दोहरानी है।
भारत माॅं के अरुण भाल पर, विजय ध्वजा फहरानी है।।
भगत सिंह ने फांसी चढ़कर, देश का मान बढ़ाया था।
विश्व पटल पर विवेकानंद ने, ज्ञान का पाठ पढ़ाया था।
राज विश्व भर में सद्गुण की, विमल ज्योति फैलानी है।
भारत माॅं के अरुण भाल पर, विजय ध्वजा फहरानी है।।
अपने बल पौरुष की हमको, उदित शक्ति दर्शानी है।
भारत माॅं के अरुण भाल पर, विजय ध्वजा फहरानी है।।
~राजकुमार पाल (राज) ✍🏻
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