( स्वान हमारे यार हैं)
( स्वान हमारे यार हैं)
स्वानों के हम ही पालनहार हैं,
उनका साथ हमें कहाँ इन्कार है।
अपराध तो कुछ मानव भी करते हैं,
तो क्या हम सब सज़ा के हकदार हैं।
इक डंडे से सबको हांकना ग़लत है,
क्या कचहरी में फिर से अंधकार है।
सदियों से इंसान स्वानों का रिश्ता है,
सदियों से दोनों इक दूजे के यार हैं।
वे भी जीव हैं हम जैसे, उनको भी
सम्मान से जीने का अधिकार है।
औरों के दिल की बात न जानूं पर,
मुझको तो स्वानों से बचपन से प्यार है
क्या ऐसा तौर विदेशों में भी है,
ये युधिष्ठिर के दिल की पुकार है।
( डॉ संजय दानी दुर्ग )