रात रुक भी जाए तो वक़्त कहाँ किसी के लिए ठहरता है।
रात रुक भी जाए तो वक़्त कहाँ किसी के लिए ठहरता है।
जो चले जाते है जहाँ से उनसे मुलाकात फ़िर कहाँ संभव होती है।।
मधु गुप्ता “अपराजिता”
रात रुक भी जाए तो वक़्त कहाँ किसी के लिए ठहरता है।
जो चले जाते है जहाँ से उनसे मुलाकात फ़िर कहाँ संभव होती है।।
मधु गुप्ता “अपराजिता”